Sankata Nasana Ganesha Stotram Hindi – संकट नाशन गणेश स्तोत्र
संकट नाशन गणेश स्तोत्र भगवान गणेश का एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। “संकट” का अर्थ है समस्या, और “नाशन” का अर्थ है उन्मूलन या विनाश। यह स्तोत्र नारद पुराण में है, जहां भगवान नारद बताते हैं कि संकट नाशन गणपति स्तोत्र के साथ भगवान गणेश की पूजा करने से सभी समस्याएं और भय दूर हो जाते हैं। संकट नाशन गणेश स्तोत्र एक द्वादस नाम स्तोत्र है, इसमें भगवान गणेश को उनके 12 नामों से प्रार्थना करना शामिल है। संकट नाशन गणेश स्तोत्र का जाप भक्ति भाव से करें।
प्रणम्य शिरसा देवं, गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं, आयुष्कामार्थसिद्धये ॥ 1 ॥
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं, आयुष्कामार्थसिद्धये ॥ 1 ॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च, एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं, गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ 2 ॥
लम्बोदरं पञ्चमं च, षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च, धूम्रवर्णं तथाष्टकम् ॥ 3 ॥
सप्तमं विघ्नराजं च, धूम्रवर्णं तथाष्टकम् ॥ 3 ॥
नवमं बालचन्द्रं च, दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं, द्वादशं तु गजाननम् ॥ 4 ॥
एकादशं गणपतिं, द्वादशं तु गजाननम् ॥ 4 ॥
द्वादशैतानि नामानि, त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य, सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ 5 ॥
न च विघ्नभयं तस्य, सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ 5 ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्, मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ 6 ॥
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्, मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ 6 ॥
जपेद्गणपतिस्तोत्रम्, षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च, लभते नात्र संशयः ॥ 7 ॥
संवत्सरेण सिद्धिं च, लभते नात्र संशयः ॥ 7 ॥
[* अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च – इति पाठभेदः *]
अष्टानां ब्राह्मणानां च, लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा, गणेशस्य प्रसादतः ॥ 8 ॥
इति श्री नारदपुराणे संकट नाशन गणेश स्तोत्र संपूर्णः।
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